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भविष्य में कैसे
होंगे स्कूल ?
कहते हैं आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है | एक समय था जब मनुष्य पेड़ की छाल पर लिखा करता था और आज वो कंप्यूटर पर टाइपिंग करता है | ऐसे ही मनुष्य के विकास के रास्ते में जो भी अवरोध आया उसने उसका समाधान खोज ही लिया | पुराने समय में छात्र गुरुकुल में अपने गुरु के साथ रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे, आज जगह-जगह विद्यालय खोले गए जहाँ पठन-पाठन की नई-नई पद्धतियों का उपयोग होता है, पर अभी-भी कई समस्याएँ हैं, जो आए दिन हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं |
जैसे- छोटे से बच्चे के कोमल कंधों पर भरी-भरकम बस्ते का बोझ, किताबों के उबाऊ चित्र जिनका कभी-कभी विषय से कुछ लेना देना नहीं होता, सीखने के वही घिसे-पिटे तरीके आदि कई ऐसी समस्याएँ हैं जो हमें काफी समय से बदलाव के लिए प्रेरित कर रही हैं |
अब सवाल उठता है कि आने वाले समय में स्कूल कैसा होगा जो इन सब समस्याओं के समाधान के रूप में हमारे सामने आए | तो लीजिए जवाब आपके सामने है –
नए ज़माने का कक्षा-कक्ष (classroom) – आने वाले समय में कक्षा- कक्ष पूरी तरह बदल जायेंगे |
आज कक्षा की दीवारों पर सभी विषयों के चार्ट बनाकर लगाए जाते हैं, जिन्हें हर 15 से 20 दिन में बदला जाता है, नए ज़माने में दीवारों पर एल.सी.डी स्क्रीन लगे होंगे जिनपर उसी विषय के चित्र और जानकारी दिखाई देगी जो उस समय कक्षा में पढाया जा रहा होगा | उदाहरण के लिए यदि हिंदी की कक्षा में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता पढाई जा रही होगी तो कक्षा की सभी दीवारों पर रामधारी सिंह ‘दिनकर’ से संबंधित जानकारी तथा उनके चित्र दिखाई देने लगेंगे, जिससे छात्रों की विषय में रुचि बढ़ेगी तथा उन्हें कम समय में पहले से अधिक जानकारी प्राप्त होगी |
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चित्र इन्टरनेट से लिया गया है । |
ब्लैक बोर्ड और चाक
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ऐसी कक्षा में ब्लैक बोर्ड तथा चाक के लिए कोई जगह नहीं होगी बल्कि स्मार्ट बोर्ड जो कई विद्यालयों में लगाए भी जा चुके हैं उनमें और अधिक सुधार के साथ उनका प्रयोग किया जायेगा |
ब्लैक बोर्ड और चाक
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स्कूल बैग -
आने वाले समय में स्कूल ऐसे नहीं होंगे जैसे आज हैं, बल्कि वे पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक हो जायेंगे | जिसका सीधे शब्दों में अर्थ है कि उस समय बच्चो को स्कूल बैग के बोझ की तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा | ये भी सम्भावना है कि छात्र बिना बैग के सिर्फ एक टैबलेट लेकर विद्यालय जाएँ |
किताबें -
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चित्र इन्टरनेट से लिया गया है । |
अब सवाल उठता है कि किताबें कैसी होंगी? उसका सीधा सा जवाब है कि छात्रों की टेबल पर ही एक स्क्रीन लगा होगा जिसे वे अपनी पाठ्यपुस्तक की तरह आराम से पन्ने पलटते हुए पढ़ सकेंगे | इतना ही नहीं पुस्तक के चित्र इतने वास्तविक होंगे कि छात्रों को पुस्तक पढने आसानी होगी | इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं – जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की कक्षा में किसी जीव पर जानकारी देते हुए शिक्षिका उसी समय छात्रों को उस जीव के चित्र के साथ उसके शरीर के भीतरी भागों से भी परिचित करवा सकती है, जिससे छात्रों को समझने में आसानी होगी |
शिक्षक की भूमिका -
घर बैठे शिक्षा –
भविष्य में तो ये भी सम्भावना है कि भीड़-भाड़ और प्रदूषण के चलते छात्र घर बैठे ही शिक्षा ग्रहण करना शुरू कर दें | इसके लिए उन्हें ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लेना होगा जिसमें उनकी ज़रुरत और समय के हिसाब से शिक्षक हर समय उनकी मदद के लिए हाज़िर होंगे ऐसे में छात्र साल भर पढ़कर साल के अंत में परीक्षा दे सकते हैं |
एक शिक्षिका होने के नाते मेरा ये मानना है कि यदि हम विकास चाहते हैं तो हर तरह के बदलाव के लिए भी हमें तैयार रहना होगा और पूरी सकारात्मकता से इन बदलावों को अपनाकर आगे बढ़ना होगा | आपकी इस विषय में क्या राय है ये जानने का मुझे इंतज़ार रहेगा ।
- कविता गांग्यान
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