मेरी कक्षा के विदाई समारोह पर
१७ मार्च २०१७
आज मेरे विद्यालय में कक्षा दस के छात्रों का विदाई समारोह था । उनकी कक्षाध्यापिका होने के नाते मैं उन्हें बहुत कुछ कहना चाहती थी, पर मैं जानती थी कि मेरा भावुक स्वभाव मुझे कुछ ज़्यादा नहीं कहने देगा, इसलिए मैंने उनके लिए एक कविता लिखी, जो सीख हर शिक्षक अपने छात्र को देना चाहता है उन्ही बातों को इकठ्ठा करके मैंने कुछ लिखा है -
देती हूँ मैं विदाई, कुछ ऐसे ढंग से ।
थोड़े से आंसुओं से थोड़ी उमंग से ।
जो वक्त बिताया यहाँ , वो भूल न जाना ।
मसरूफियत दे मौका , तो मिलने ज़रूर आना ।
सीखा यहाँ पे जो है, उसे आगे अपनाना ।
इस छोटी- सी नदी से , तुम्हे जलधि में जाना ।
गर न मिले सफलता , तुम्हें एक बार में ।
तो होके तुम मायूस कहीं बैठ न जाना ।
न बैठना सुकूँ से, कि जब तक न काम हो ।
दुनिया में मेरे शिष्यों , तुम्हारा ही नाम हो ।
ऊंचाइयों की सीढियाँ , चढ़ते चले जाना ।
पर अपनी जड़ों को कभी तुम भूल न जाना ।
मिल जाऊँ गर कहीं, तो ज़रा मुस्कुरा देना ।
अपनी गुरु को ये ही गुरु- दक्षिणा देना ।
- कविता गांग्यान